भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र की पंचांग में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहती है , पंचांग का अर्थ हुआ पांच अंग और यह पांच अंग है तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इन्ही पांच अंगो में से एक है नक्षत्र, फलित ज्योतिष से जुड़े हुए विश्लेषण और यथार्थ भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग किया जाता हैं।
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के द्वारा किसी भी जातक के जीवन के कई पहलुओं को जाना जा सकता हैं, जैसे की जातक में विवेक, सोचने की शक्ति किस प्रकार है ?
जातक की अंतर्दृष्टि एवं जातक की योग्यताओं व् विशेषताओं का विश्लेषण सटीक रूप से एवं सरलता से नक्षत्र के द्वारा किया जाता है |
इनके अलावा नक्षत्र के द्वारा जातक की दशा अवधि की गणना भी की जा सकती है |
भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र का एक सिद्धांत है, इस सिद्धांत के अनुसार आकाशमंडल में चन्द्रमा पृथ्वी के चारो ओर अपने ग्रहपथ पर घूमते हुए 27.3 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता हैं|
अतः प्रत्येक महीना चन्द्रमा घूमते हुए आकाशमंडल में जिन मुख्य सितारों के समूहों के मध्य से होता हुआ निकलता हैं, चन्द्रमा व सितारों के समूहों का यह संयोग “ नक्षत्र “ कहलाता है |